यह विदर्भ की एक पारंपारिक तथा सांस्कृतिक लोककला है जो अभी विलुप्त होने के कगार पर है .उसे पुनरुज्जीवित करने के लिए भरसक प्रयास महिला कला निकेतन द्वारा किये जा रहे है. सावन के महीने में परडी पर रंगबिरंगी फुल और पत्तों से भराडी गौर की कलाकृती बनाई जाती है ,जिसे बाद में भगवान महादेव की पिंडी पर चढाया जाता है. इस कला का प्रचार करने तथा सिखाने हेतू कार्यशाळाये और स्पर्धा भी आयोजित की जाती है.